Sunday, June 23, 2019

Rubber cultivation, tress, information

Rubber trees


Rubber trees are large, strong, with wide leaves. In India, winter is normal from December to February. Stay tuned for updates and colors in sleep mode. Step 3 The fruits ripen and rot from July to September. Seeds have dark brown spots with impurities. Propagation of plants for commercial cultivation, especially in the methods of selection of plants of higher grades (clones) in seedlings Water is an insect.

     

RUBBER NURSERY(रबड़ की नर्सरी)

Collection and germination of seeds (रबड़ के बीजों का संग्रह और अंकुरण)

Germination bed

A seed viability is very short,  seeds are collected for planting soon after fruit dehiscence. Collected seeds are packed with moist charcoal powder in gunny bags lined with perforated polythene sheets. Seeds should be germinated before planting by sowing them on germination beds. Germination beds are prepared with the top em made up of river sand or well-leached coir pith. The beds should be raised 10-15 em above ground to avoid water logging and be of 90 em width and convenient length. Partial shading may be provided to protect from strong sunlight. 

Seeds are sown elosely in single layer and pressed firmly into the sand leaving the surface of seeds just visible above the sand. Germination bed should be kept moist but not wet by sprinkling water in the morning and evening and covering with loosely woven coir or gunny mat. Too dry and wet conditions are undesirable. Germination starts one week after sowing. Seeds sprouted on each day should be picked into a vessel containing water to avoid injury. The picked seeds should be planted in seedling nursery without delay.

सामान्य रूप से कम परिसर का रबर बागान के लिए नर्सरी का जरूरत नहीं हैं ! इसके लिए एक भरसे मंद नर्सरी से रबर पॉलीबैग खरीद कर लगाना ही ठीक है ! लेकिन बिशाल परिसर का रबर बागान लगाने के लिए या कोई नया जगह पर बागान शुरू करने के लिए नर्सरी बनाना पहला काम होगा ! रबर पौधे का नर्सरी एक लाभदायी व्यवसाय है, ब्यक्तिगत खंड मैं इस मैक्सक से नर्सरी किया जाता है ! इसके लिए किसानों को प्रशिषण लेना पड़ेगा रबर बोर्ड का कर्चारियों से ! एक नर्सरी शुरुवात करने के लिए क्या क्या पदक्षेप लेना पड़ेगा: 

1. मिट्टी निर्वाचन :

 पानी जमा ना होनेवाला मिट्टी चाहिए ! आना जाना सुबिधा हो और समतल मिट्टी हो ! एक बड़े परिसर मैं समतल कोई कोई जगह पर नहीं भी हो सकता है,  इसलिए थोड़ा कम उंचाईं ढलान मिट्टी भी चलेगा नर्सरी मै लिए ! सरुवा, पलसुवा मिट्टी आसानी से निकाल कर पर हो जानेवाला मिट्टी अच्छा है ! एक नर्सरी मैं एक हैक्टर मैं लग भाग 70000-75000 पौधे लगा सकता है! 

2. रबर का बीज संग्रह : 

रबर का बीज जुलाई महीना के अंत से अगस्त महीना तक परिपक्क हो जाता है! रबर बीजों का उम्र कल बोहोत कम है, इसलिए जल्दी से ख़राब हो जाता है! इसलिए बीजों को संग्रह के बाद ही नर्सरी मैं लेके जाना चाहिए ! इसके लिए आपको पहले से ही प्राथमिक बीज स्थल को तैयार करके रखना चाहिए ! अगर ज्यादा दूर मैं बीजों को लेके जाना होता है तो बीजों के साथ लकड़ी कि चूर्ण या कोइला का चूर्ण को मिलाने से थोड़ा दिन तक अच्छा रहता है! बागीसा से बीज संग्रह करते समय ख़राब बीज को निकाल कर अच्छा और स्वास्थ बीज को ही रखे! नर्सरी के लिए जितना हो सके उतना जल्दी बीजों को संग्रह करना चाहिए ! बीजों को जल्दी रुपण करने से अक्टूबर-नवंबर महीना का मौचूमी हवा का अंत बारिश मिलने से पौधा अच्छा होता है और सर्दी का प्रकोप के पहले ही ताज़ा होता है ! 

3. प्राथमिक बीज स्थल( Germination bed) : 

नर्सरी का एक अंश मैं प्राथमिक बीज स्थल या अंकुरण बीज स्थलों को तैयार किया जाता है ! इस स्थलों को तीन फुट चौड़ाई और लम्बाई अपने सुविधा अनुसार किया जाना चाहिए ! उपर कि और  ऊचांई 10-15 से:मी: करके बनाना चाहिए ताकि पानी जमा ना हो सके और बीज स्थल का उपर मैं 5 से: मी: नदी का बालू देकर बीजों को रुपण करना चाहिए ! 
           रबर बीजों को नर्सरी मैं लाने के बाद बांस का कोटरी मैं लेकर पानी मैं धोना चाहिए तब बीजों मैं मिक्स किया हुवा कोइला हट जायेगा ! उसके बाद बीजों को तैयार किया हुवा स्थलों के बालू मैं बिछा दे, एक दूसरे के साथ समेत कर एक स्तर पर हथेली का दबाव से ! ध्यान रहे बीज का अंकुर निकलने वाला अग्र भाग मिट्टी का नीचे कि और हो नहीं तो जड़ तेरा होके नीचे मैं जा सकता है और बाद मैं पौधा रुपण के लिए उपयोगी नहीं रहेगा ! अब मारपात का बस्ता से या नारियल का चमड़ा से बनाया हुवा कार्पेट से धक् दे ! सुबह-शाम यहाँ दो बार पानी देना चाहिए ! 4-7 दिन के अंदर ही अंकुर निकलना शुरू हो जाता है बीजों अंकुरण होने के बाद इसलिए अंकुरित बीजों को द्वितीय पौधे स्थल पर स्थानांतरण किया जाता है! अंकुर को ज्यादा बड़ा होने नहीं देना चाहिए उसके लिए बस्ता को उठाकर बीज बीज मैं देखना चाहिए इसमें एक बात का ध्यान रहे कि जब बस्ता को उठाते हो तब ज्यादा जोर से नहीं उठाना चाहिए, कुछ अंकुरित बीज बस्ता मैं लगा रहता है इसलिए ऐसा करने से टूट भी सकता है ! बीज को लेने के लिए एक बाल्टी पर आधा पानी लेकर आराम से अंकुरित बीजों को बाल्टी मैं डाले ताकि अंकुर टूट ना जाये! अगर दो-तीन सप्ते के बाद भी अंकुर नहीं निकला तो वह लेना नहीं चाहिए ताकि बाद मैं कमजोर पौधे का उत्पादन ना हो! 

4. अंकुर नर्सरी का बेदिका तैयार 

अंकुरित बीजों को स्थानांतरण करने से पहले अंकुर नर्सरी का स्थल यानि द्वितीय पौधे स्थल को तैयार करना चाहिए ! पौधे स्थल को 75 से : मी : गभीर तक मिट्टी को खोदाई कर पत्थर और जबरा बगेरा निकालना चाहिए ! पौधे का यह बेदिका की चौड़ाई 60 से 120 से : मी : और लम्बाई अपने सुविधा अनुसार करें ! बेडिकाओं के बीज रास्ता रखना चाहिए ताकि आना-जाना मैं सुविधा हो ! 
खाद प्रयोग : प्रति हैक्टर नर्सरी मैं 2500 कि:लो: सूखा गोबर या पाचा हुवा खाद और 350 कि लो का रॉक फासफाते का चूर्ण बेदिका मैं मिक्स करना चाहिए ! नया करके जंगल काट कर परिष्कार किया हुवा सरुवा मिट्टी मैं पचा खाद या सूखा गोबर प्रयोग नहीं करने से भी चलेगा ! 

5. पौधे का रुपण 

अंकुरित बीजों को द्वितीय पौधे स्थल पर लाइन लाइन करके जड़ अंश को नीचे कि और करके मिट्टी मैं एक छोटा गधा कर रुपण किया जाता है ! नर्सरी का पौधे उत्पादन को गौर करके और मिट्टी का आकार के उपर निर्भर करके भिन्न दुरी पर रुपण किया जाता है ! सामान्य रूप से 30×30 से : मी : (ब्राउन बडिंग के लिए) और 23×23 से : मी : (ग्रीन बडिंग के लिए) दुरी पर रुपण करते है ! इसके लिए एक रस्सी मैं निर्दिष्ट दुरी पर चिन्हित करके पौधे को रुपण करने से लाइन समान दुरत्त पर होंगे ! 

6. पौधे का देख-भाल 

अंकुर नर्सरी मैं पौधे को स्वस्थ और बलवान बनाने कि लिए नीचे दिए गये नियमों का पालन करना चाहिए..
क) ज्यादा सूखा होने से पानी दे 
ख) अनावस्यक घास आदि को हटाए 
ग) पौधों को सूखा पट्टा से मल्चिंग करना चाहिए ! ये सूर्य का तीब्र किरणों से पौधों को बचाता है और मिट्टी मैं गीलापन को अटूट रखता है 
घ) सर्दी मौसम मैं देखा जाने वाला पाउडरी मिल्डयु रोग होने से सल्फर का चूर्ण छिरकाव करें 
खाद प्रयोग : 
क) पौधे लगाने के 6-8 सप्ते के बाद पौधों मैं प्रति हैक्टर मैं 2500 कि : ग्राम NPK 10:10:4 हिसाब से पौधों के बीज प्रयोग करे 
ख) पहली बार खाद प्रयोग के बाद फिर 6-8 सप्ते के बाद प्रति हैक्टर मैं 550 कि:ग्राम यूरिया पौधों के आस-पास प्रयोग करें !

7. मुकुल नवोदित या बडिंग 

पौधों के आकार और उम्र के उपर निर्भर करके दोनों प्रकार के बडिंग किया जाता है ! 2-8 सप्ते के अंदर हरा बडिंग किया जाता है और 10 महीना के बाद भूरा बडिंग कर सकते है ! ज्यादा सूखा और ज्यादा नहीं होने से बडिंग का अधिक सफलता मिलता है ! सामान्य रूप से अप्रैल महीना से ही बडिंग कर सकते है ! 

               बुडवुड या मातृ पेड़ से डाली काट कर लाना चाहिए बडिंग के लिए! इस डाली से ताज़ा अवस्था मैं मुकुल के साथ चमड़ा को निकाल के नर्सरी पौधों के नीच हिस्सा मैं समान आकार मैं चमड़ा हटाकर वहा चिपका देकर मुकुल नवोदित या बडिंग  किया जाता है ! पॉलिथीन का पट्टे से बडिंग किया हुवा अंश को कड़ा से बांधना चाहिए ताकि अंदर पानी ना जा सके और मुकुल क चमड़ा पौधे मैं छिपकर लगे रहे ! बडिंग के तीन सप्ते के बाद पट्टी का पॉलिथीन को खोलकर, मुकुल का उपर का अंश मैं नाखून से निशान देकर परीक्षा कि जाती है | यदि वहा से लेटेक्स निकलता है, समझना होगा कि मुकुल नवोदन सफल हुवा है | बडिंग सक्सेस पौधों के मुकुल का उपर मैं पॉलिथीन क फीता से बांधकर सफल कि चिह्नित किया जाता है, उसके बाद एक सप्ते के बाद इस पौधों को रुपण या बुड्डेढ स्टंप बनाने के लिए तैयार हो जाता है | सफल मुकुल नवोदित पौधों को दो पैरों के बीज मैं लेकर जोर से खिसकर उभालना चाहिए | निकालने (पोलिंग आउट) के बाद मुकुल का उपर मैं 7.5 से : मी: दुरी पर काट कर हटाना चाहिए और मुकुल का बिपरीत दिशा मैं 45° मैं अक्सर काटा जाना चाहिए | इस तरह काटने के बाद वहा तरल मोम पर डालना चाहिए | अगर ज्यादा लम्बा हो तो काटना चाहिए |अगर बुड्डेढ स्टंप को दूर मैं लेके जाना हो तो मुकुल का अंश मैं केला पेड़ का चमड़ा से रबर बेंड का साहेता से बांधना चाहिए ताकि वहा कोई खोरोस ना आये | 

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Monday, June 10, 2019

Introduce of natural rubber, cultivation, रबड़ खेत


Introduce of natural rubber

रबड़ का परिचय 

Rubber trees

दोस्तों आज मै एक अनोखा फशल के बारे में बताने जा रहा हूं आप लोग अंत तक पढ़िए क्यूंकि इश्के द्वारा आप बहोत पैसा कमा सकते हैं,  वह लाभदायी फशल का नाम हैं रबड़ जी हा दोस्तों रबड़ खेती करके खुद तो स्वाबलम्बी तो बना सकता ही हैं साथ में दूसरो को भी कर्मसंस्तान दे सकते हैं ! रबड़  को पहली बार के लिए अमेज़न जोंगोल में पाए गिये थे! पहली बार के लिए रबड़ प्लांटेशन ब्राशील में सन 1873 में हुआ था, इसीलिए इसका सइंटिफ़िक नाम "Hevea brasiliensis" नाम रखा गया! 
रबड़ फशल को "Sir Henry Wickham" ने सबसे  पहले खोज कर निकाले थे अमेज़न बेसिन से इशलिये उन्हें रबड़ के जन्मदाता कहलाते हैं पुरे दुनिया में ओर रबड़ को ब्रासिल के पारा जिला में पाए गये थे इशलिये इसे पारा रबड़ भी कहा जाता हैं! पहले इसका प्रयोग पेन्सिल के निशान मिटाने के लिये किया जाता था। आज यह विश्व की महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसलों में से है। इसका प्रयोग मोटर के ट्यूब, टायर, वाटर प्रूफ कपड़े, जूते तथा विभिन्न प्रकार के दैनिक उपयोग की वस्तुओं में होता है!  

 थाईलैंड, इण्डोनेशिया, मलेशिया, भारत, चीन, वियतनाम और श्रीलंका प्रमुख उत्पादक देश है।  भारत का विश्व उत्पादन में चौथा स्थान है लेकिन घरेलू खपत अधिक होने के कारण यह रबर का दोहरा करता है।  सबसे पहले हमारे भारत में केरल में नासर प्लांट हुवा की सन 1902 में ओर पुरे एशिया महादेश के अंदर पहली बार के लिए हुवा थी श्री लंका में सन 1876 में!  लेकिन अभी तक वियतनाम से बोहोत अच्छी गुणवत्ता के रबड़ का उत्पादन होता है!