Tapping
Tapping |
Latex is obtained from the bark of the rubber tree by tapping. Tapping is a process of controlled wounding during which thin shavings of bark are removed. The aim of tapping is to cut open the latex vessels or to remove the coagulum which blocks the cut end of the latex vessels. Latex vessels are concentrated in the soft bast, the inner bark layer arranged in a series of concentric rings of towards the innermost region. The number, dimension and distribution of latex vessels and terconnecting vessels maximum being the proportion of hard bark show much variation from tree to tree in seedling population but not in budded trees of a clone. Variations do exist among clones.
टॉपिंग
रबर पेड़ से रबर कि आक्षीर निकालने के लिए एक बिशेष चाकू कि साहेता से रबर पेड़ कि छाल को एक नियंत्रित हिसाब से काट कर आक्षीर निकलना कार्य को टैपिंग यानि दोहन कहा जाता है |
Standards of tappability
Henry Niklash Ridly first tapping was teaching in Singapur Botanical garden. Budded plants are tappable when they attain a girth of 50 cm at a height of 125 cm from the bud union. Virgin panels and renewed panels are opened at the same height i.e. 125 cm. It is economic to begin tapping when 70% of the trees in the selected area attain the standard girth. It may take six to seven years to reach this state in the traditional rubber growing region and up to 10 years in non-traditional regions. In seedlings, the first opening for tapping is recommended at a height of 50 cm when the girth at that level is 55 cm. The height specified for opening subsequent panels is 100 cm. The best period to open trees for tapping is March-April. The trees left behind for want of sufficient girth may be opened in September. In the immature phase, mean annual girth increase is around 7 cm, as against 2 cm or less under tapping. Hence, trees with less than 50 cm girth should not be opened for tapping unless otherwise recommended separately.
टैपिंग सक्षमता
"हेनरी निकलश रिडली" नाम का एक वैज्ञानिक ने पहली बार टैपिंग सिखाया था सिंगापूर का एक वनस्पति उद्यान में | बुड्डेढ पेड़ का परिधि जब 50 सेमी: हो जायेगा तब टैपिंग आरम्भ कर सकता है | बड यूनियन से 125 सेमी: ऊंचाई में पेड़ को मापा जाता है | 125 सेमी ऊंचाई में इसलिए लिया जाता है कि नाता या ऊँचा दोनों श्रेणी के लोग टैपिंग कर सकते है | सामान्य रूप से परिपक्व होने के लिए यानि उत्पादन होने के लिए 6-7 छाल लगता है | 70% परिपक्कता के उपर निर्भर करके एक रबर बागान को टैपिंग आरम्भ किया जाता है | अर्थनीति के तोर पर 70% पेड़ का परिधि 50 सेमी: हो गया तो टैपिंग के लिए वह बागान उपयोगी है | मान लीजिये एक रबर बागान में 300 पेड़ है और वह 7 छाल पूरा हो चूका है तब पहले हमें वहा पेड़ कि परिधि को देखना पड़ता है, उसके लिए अगर वह बागान में आपको 210 पेड़ का घेरा 50 सेमी: मिल गई तब आप टैपिंग कर सकते हो, लेकिन व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो 50 सेमी: का नीचे होने से मगर 45 से कम नहीं तब भी टैपिंग कर सकता है क्यूंकि बागान में अच्छा संरक्षण नहीं होने से कोई कोई बागान में 8-9 छाल में भी पेड़ 50 सेमी: परिधि प्राप्त नहीं कर पाते |
साधारण रबर पेड़ टैपिंग के लिए परिधि 55 सेमी: होना चाहिए| इसमें A-पैनेल को 50 सेमी: ऊंचाई में और बाद में B- पैनेल को 100 सेमी: ऊंचाई में लेकर टैपिंग किया जाता है, क्यूंकि साधारण रबर पेड़ों कि निचले हिस्सा बड़ा होता है और छाल मोटा और नरम होता है | साधारण पेड़ में आक्षीर का नलिका कम होता है इसलिए ज्यादा उत्पादन नहीं होता है | और एक दूसरा पद्धति है साधारण रबर पेड़ को मापने के लिए वह है कि आप प्रत्यक्ष रूप से 90 सेमी: ऊंचाई में भी टैपिंग कर सकते है, ऐसा करने से बर्क-आइलैंड का सृष्टि नहीं होता है |
Marking, opening and flow of latex
The tapping cut of budded trees should have a slope of about 30° to the horizontal and for seedling trees only about 25°, since the fairly thick bark prevents spillage. A very steep cut leads to wastage of bark when tapping reaches the base of the tree and too flat a cut leads to overflow of latex from the cut. The slope should be marked annually using appropriate template. The latex vessels in the bark run at an angle of 3-5° to the right and therefore a cut from high left to low right will open more latex vessels. To avoid spillage, an inward slope is to be maintained on the tapping cut. In general, tapping on the basal
panel is on half circumference (S/2) of the tree. It is desirable to divide the circumference into two equal halves in the first year of marking itself. Drainage area of latex is generally limited to an average of 70 cm towards the bottom, 40 em to the upper side and 5 cm from both ends of the tapping cut. The amount of latex exuded during a tapping needs to be regenerated fully in quantity and quality within the drainage area itself before the next tapping, and the time required for this is more than 48 hours in case of high yielding clones like RRII 105. When the tree is tapped and the vessel is cut, pressure at the location of the cut is released and viscous latex exudes. This exudation of latex results in the displacement of latex along the length of the latex vessel and laterally owing to strong forces of cohesion existing in the liquid phase. The resultant fall in pressure in the vessels leads to entry of water from surrounding tissues making the latex more dilute and makes the latex less viscous. Subsequent changes in the osmotic concentration in vessel damages lutoids present in latex. Damage of lutoids releases a protein named 'hevein' which forms cross link between rubber particles resulting in coagulation of latex at the cut ends of vessels. This leads to plugging of the vessels and cessation of latex flow.
मार्किंग, आक्षीर का उद्घाटन और प्रवाह
मुकुल संगयूजक पेड़(बुड्डेढ) का टैपिंग कट यानि स्लोप 30° होना चाहिए और साधारण पेड़(सीडलिंग) का स्लोप 25° होना चाहिए | पेड़ को बड़ाबड़ दो भाग 125 सेमी ऊंचाई तक करना चाहिए |उनमे से पहली बार टैपिंग शुरू करने वाले भाग को A पैनेल कहा जाता है और दूसरी भाग को B पैनेल कहलाता है | A और B पैनेल को काट कर ख़तम होने के बाद फिर नया छाल निकलता है और उसे C पैनेल(A पैनेल का भाग में ) और D पैनेल (B पैनेल का भाग में) आक्षीर का नलिका रबर छाल का बांये उपर से दांये नीचे कि और 3°-5° कोण(angle) में रहता है, इसलिए टैपिंग भी बांये उपर और दांये नीचे से करता है | ऐसा करने से आक्षीर का नलिका ज्यादा काट जाता है और फलस्वरूप आक्षीर ज्यादा निकलता है | आक्षीर का जलनिकास क्षेत्र नीचे 70 से: मी: और उपर में 40 से: मी: तक सीमित रहता है और 5 सेमी: टैपिंग काट का दोनों साइड में रहता है |रबर पेड़ में चार स्तर रहता है उनमे से एक है बाहर का छाल(आउटर बर्क) जो बाहर में रहता और पेड़ को ये रक्षा करता है, उसके बाद आएगा क्रम अनुसार कठिन छाल(हार्ड बर्क), नरम छाल(सॉफ्ट बर्क), का नलिका(Vassels) नरम छाल (सॉफ्ट बर्क), केंबियम और लकड़ी(wood) | लेटेक्स का नलिका सॉफ्ट बर्क में ज्यादा रहता है, इसलिए टैपिंग का चाकू अंदर सॉफ्ट छाल तक जाना चाहिए नहीं तो लेटेक्स कम मिलेगी | टापिंग का काट हमेशा अंदर कि और ढलान होना चाहिए ताकि आक्षीर प्रवाहित समय साइड से आक्षीर ना गिरे | प्रतियोगिता वर्ष टेम्पलेट से मार्किंग करना चाहिए |
Tapping depth, bark consumption and bark renewal
Latex vessels are concentrated near the cambium. Hence, high yield is obtained by tapping to a depth of less than one millimetre close to the cambium. However, for clones with very low virgin bark thickness, it is advisable to tap leaving at least 1.5 mm bark from cambium to avoid injury and wound reaction. But, too shallow tapping results in considerable loss of crop. Minor tapping wounds which heals in due course are permissible for medium and low yielding clones. On every subsequent tapping, a shaving of the bark along with the plugs of coagulated latex should be cut and removed. Bark regeneration is brought about by the activity of the cambium. The rate and extent of renewal are dependent on the genetic characters of the plant, fertility of the soil, climatic conditions, quality of tapping, tapping system, frequency and intensity, planting density and disease incidence. It is desirable to start tapping on renewed panel only after 10 years of opening.
टैपिंग कि गहरी, छाल काटने का परिमाण और छाल नवीकरण
लेटेक्स का नलिकाएं केंबियम के आस-पास रहता है, इसलिए ज्यादा आक्षीर मिलने के लिए केंबियम को एक मिलीमीटर से कम छोड़कर उतना गभीर तक टैपिंग करना चाहिए | टैपिंग अगर एक दिन के बाद एक दिन करेंगे तो छाल को एक बार में खाली 1.5 मिमी ही काटना चाहिए | लेकिन शैलो(shallow) टैपिंग से उत्पादन कम मिलता है, टैपिंग का चाकू अगर सॉफ्ट बर्क तक नहीं जाता है यानि सॉफ्ट बर्क में रहने वाला लेटेक्स नलिका को बिना कटे टैपिंग किया को शैलो टैपिंग कहा जाता है | और दीप(Deep) टैपिंग से भी बचना चाहिए नहीं तो नया छाल निकालने में रुकावट बन सकती है | केंबियम ने नया करके फ्लोएम कला और लेटेक्स नलिका का तैयार करता है और कोष का पैदा करता है और उसीसे नया छाल का सृष्टि होता है|नया छाल का बृद्धि निर्भर करता है भाजक कला या मेरिस्टमेटिक नाम कि कला के उपर और जात(क्लोन), जलबायु, मिट्टी का उर्बरता, टैपिंग का प्रणाली और बागान का रखरखाव उपर में | A-B पैनेल ख़तम होने के बाद C-D पैनेल में नया छाल आता है | पहली बार टैपिंग शुरू करने के 10 साल बाद नया छाल (renewed panel) में टैपिंग कर सकते है | अलग अलग अंतर में किया हुवा टैपिंग में छाल को कितना काटना चाहिए उसका एक टेबल नीचे दिया गया है, कृपया उसे देखे..
Bark consumption under different tapping frequencies
Time of tapping, Task and utensils
Time of tapping, task and utensils Tapping should commence early in the morning as late tapping reduces the exudation of latex. Both 'Michie Golledge' knife used in India as well as the draw knife or 'Jebong' knife common in Malaysia are suitable for high and low level tapping and higher tasks. 'Jorwin' also known as "Manimooli' knife can be used more effectively in place of Michie knife as the tapper need not turn or knife need not be turned to tap front and back end of the cut in case of former. The knives should be sharp. The knives, cups, buckets, etc. should be cleaned well to prevent bacterial contamination and spoilage of latex. While fixing spout, care should be taken to fix it at half way mark of annual bark consumption (for effective protection of the cup by rainguard during monsoon). The tapping task (number of trees tapped on a day by one tapper) in India is 300- 400 trees. Headlights can be used for visibility during early morning tapping. Completion of tapping and latex flow in the early hours (02.00 to 6.00 hrs) is good for higher yield. It is particularly important during summer and in wind-prone areas.
टैपिंग का समय, कार्य और टैपिंग के सामग्रियां
सूर्य उदय से पहले ही टैपिंग ख़तम होना चाहिए | रबर का पट्टा पेड़ का रसोई है, सूर्योदय के साथ साथ पेड़ का पट्टे में प्रकाश संश्लेषण(Photosynthesis) शुरू होता है, पेड़ का बदन हिस्सा का पानी शोषित होने लगता है, इसलिए रात और सुबह में लेटेक्स नलिका और अन्य हिस्से में टर्गर प्रेशर(targer pressure) ज्यादा होता है और फलस्वरूप नलिका से आक्षीर ज्यादा निकलता है | दिन में पट्टे का रान्धे से पेड़ पानी निकाल देता है, जिसे प्रस्वेदन कहलाता है, और इसकी बजह से टार्गेर प्रेशर कम हो जाते है और फलस्वरूप लेटेक्स कम आता है, इसलिए हमें देर टैपिंग को वर्जन करना चाहिए |मार्किंग और टैपिंग के लिए जो सामग्रियां का जरूरत होता उसका एक लिस्ट नीचे दिया गया है..
1. टेप(Tap)
2. स्केल(Scal) -125 सेमी:
3. मार्किंग चाकू(Marking knife)
4. टेम्पलेट(Tamplate)
5. रची(String)
6. प्लास्टिक कप(Plastic cup)
7. कप हेंगर (Cup hanger)
8. स्पॉउट(spout)
9. टैपिंग चाकुयें..
(i) जैबोंग चाकू(Jebong knife)
(ii) मीचि गोल्लेज(Michi golledge knife)
(iii) गौज चाकू(Gouge knife)
10. शार्पर(Sharper)
11. बांस का टोकरी(Bamboo busket)
Tapping systems
Response to different tapping systems varies from clone to clone. Trees of high yielding clones are to be tapped atleast on half spiral third daily (S/2 d3) system. Alternate daily tapping may be practised only for medium/ low yielding clones (RRIM 600, GT 1, PB 28/59 etc.). Low frequency tapping systems with appropriate yield stimulation is suitable to reduce cost of production and manage skilled tapper shortage to make rubber cost effective even under low price senerio.
टापिंग की पद्धति
टापिंग को दैनिक नहीं करना चाहिए, टापिंग को बिराम देकर ही करना चाहिए इसलिए इसे कुछ पद्धति के द्वारा किया जाता है I पेड़ की पुरे हिस्से को S1(spiral) कहा जाता है, जब हम मार्किंग करते है तब पेड़ को बराबर दो भागो में बता जाता है, तब इसे संक्षेप में S2 कहा जाता है I एक दिन का अंतर में टापिंग करेंगे तो इसे S2 D2 कहते है I ठीक इसी तरह दो दिन के अंतर में टापिंग करेंगे तो उसे S2 D3 कहलाता है I उच्च उत्पादन देने वाला रबर जाट को S2 D3 में काटना चाहिए लेकिन जो मध्यम या काम उत्पादन वाला जाटों को S2 D2 यानि एक दिन के अबधि में टापिंग कर सकते है I कम आवृत्ति या ज्यादा बिराम देकर टापिंग में श्रमिक दिन कम होता है इसलिए उत्पादन का खरसा घटता है I इसका दूसरा और एक लाभ यह है की DRC बने रहता है I
Low frequency tapping
Low frequency tapping (LFT) with stimulation can be practis to reduce the cost of production, increase productive life of trees and to manage the tapping labour shortage. The systems recommended are of d3, d4, d6 or d7 frequency. Trees under higher frequencies of tapping can also be converted to LFT. However, when such conversion is done there will be a temporary yield depression. To minimise the depression effect, conversion may be done during the low yielding months (February-April). Success of LFT depends on regular tapping throughout the year with application of yield stimulant at stipulated schedules for each frequency and clone. The stimulation schedule varies with clone from the first of tapping age of the tree, tapping system and frequency. Method of yield stimulation recommended is application of 2.5% ethephon on the panel (applied on recently tapped area just above the tapping cut to a width of 1.5 cm) in all the above cases, For high yielding clones like RRII 105 under third daily (d3) tapping frequency with weekly one day regular off (6d/7), three annual stimulation and under 7/d7 only two rounds are needed. The updated stimulation schedule recommended for different systems of tapping and clones under 6d/7 and 7d/7 are given in Table 9. The scheduled stimulation for April may be postponed to May/ June, if soil moisture is deficient.
When tapping is done by the grower himself, weekly tapping with rainguard would be most appropriate as the effort will be minimal without compromise on production. In addition to tapping on all scheduled days under d6 or d7, removal of bark shaving @ 2.5mm/tap, and tapping upto the correct depth (0.5 to 1.0 mm near to cambium) in all tapping days, and yield stimulant application as per recommended schedule ensures optimum crop. Trees which have undergone higher frequencies of tapping for the initial two or more converting to weekly (d7) tapping, monthly stimulation may be followed. Benefit to tappers from low frequency tapping is substantially high through increased over- poundage in estate sector. Since the success of LFT depends on regular tapping throughout the year under the opted frequency, timely rainguarding and an additional miniguard fixed during August/September to prevent rainguard leakage during North-East monsoon is essential in the traditional region. In case of heavy rain in early morning, instead of skipping tapping on rainy days, delayed tapping on same day during South-West monsoon is desirable. Whenever tapping is not done due to absence of the tapper or a holiday, the field/ blocks scheduled for such day should be tapped on the next day. If not, there will be temporary reduction in yield due to longer interval between two tappings. For reducing scrap (field coagulum) percentage, delayed and if needed second collection of latex in the evening should be practised.
कम आवृत्ति टापिंग पद्धति
कम अबधि टापिंग में उद्दीपक का इस्तेमाल करके टापिंग कर सकते है| इसके द्वारा उत्पादन व्यय को घटा सकते है और उत्पादन का आयु लम्बा कर सकते है| इस पद्धति को उस इलेका में करिये जहा श्रमिक मिलना मुश्किल है | इसके लिए D3, D4, D6 और D7 में टापिंग होना जरुरी है | अगर आप ज्यादा आवृत्ति में टापिंग किया है तो उसे कम आवृत्ति टापिंग में बदल सकते हो, लेकिन इसमें थोड़ा समय (February-April) के लिए उत्पादन कम मिल सकता है | इसलिए इस पद्धति में उद्दीपक लगाकर उत्पादन बड़ा सकते है | उद्दीपक को पेड़ के जाट, आयु और टापिंग पद्धति के ऊपर देखकर इस्तेमाल किया जाता है | उद्दीपक को कुछ आवेदक पद्धति द्वारा दिया जाता है | पैनल एप्लीकेशन को 2.5% करके प्रयोग किया जाता है | इस एप्लीकेशन को टापिंग पैनल में ठीक टापिंग चैनल का ऊपर 1.5 सेंटीमीटर चौड़ा करके पेंटिंग ब्रास द्वारा प्रयोग किया जाता है | उच्चा उत्पादन वाला जाट जैसे अर अर आई आई-105 के लिए D3 में टापिंग होना चाहिए तभी इस्तेमाल कर पाएंगे | अगर d7 में टापिंग होता है तो साल में तीन बार इसे लगा सकते है | इसका एक अनुसूसी नीचे दी गयी है : -
यदि बारिस की बजह से टापिंग नहीं कर पाया तो उस थोड़ा देर से टापिंग कर सकते है | तप्पर का अनुपस्थिति में या अवकाश का दिन बजह से अगर टापिंग नहीं होता है तो ब्लॉक अनुसूसी हिसाव से अगले दिन वही ब्लॉक को टापिंग करें |
यहाँ नीचे आपके लिए टापिंग और मार्किंग वीडियो का लिंक दी गयी आप देखे click here
To be continued..